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तब्लीग़ी जमात  से जुडी सही खबर; छुपे नहीं बल्कि लॉकडाउन के कारण फंस गए थे तबलीगी जमात के लोग-पूरी जानकारी पढ़िए

तब्लीग़ी जमात से जुडी सही खबर; छुपे नहीं बल्कि लॉकडाउन के कारण फंस गए थे तबलीगी जमात के लोग-पूरी जानकारी पढ़िए

तबलीगी जमात मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग, वो भी इतना सीधा सादा की पूछिए मत। एकदम से गैरराजनीतिक। सिर्फ मस्जिद में रहना। अल्लाह-अल्लाह करना और घरों को चले जाना। आपस में ही इस्लाम की बातें करना, सबको अपना मानना। पैजामे टखनों से ऊपर, लंबी दाढ़ी, सर पर टोपी, ईमानदारी ऐसी की गैरमुस्लिम भी उनकी मिसाल दें।


आपदाएं जब आती हैं तो फासीवाद को मजबूत करके जाती हैं। कल से टीवी पर देख रहा हूं। किसी ने भी सच्चाई नहीं दिखाई। दिल्ली के निज़ामउद्दीन इलाके में बंगले वाली मस्जिद को तबलीगी जमात का वैश्विक मुख्यालय कहते हैं। सबसे पहले तो हमें गर्व करना चाहिए कि हमारे देश में इस्लाम धर्म के एक प्रमुख वैचारिक धड़े का मुख्यालय है जहां हर साल लाखों की तादाद में दुनिया के हर देश से मुसलमान आते हैं और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों की मस्जिदों में जाकर इस्लाम-कुरान और हजरत मोहम्मद साहब की बातें बताते हैं। इसी को तबलीग कहते हैं। तबलीग करना मतलब मुसलमानों को कुरान-हदीस की बातें बताना।

हमारे देश में जब कोविड-19 को लेकर किसी भी प्रकार की हेल्थ एडवाइज़री नहीं जारी की गई थी और इंटरनेशल फ्लाइट्स आदि पर रोक नहीं लगी थी तभी मरकज़ निज़ामउद्दीन पर विभिन्न देशों तथा भारत के कई राज्यों से तबलीगी जुटे थे। यह जुटान 10-15 मार्च के दौरान हुई। इस दौरान सरकारी कारिंदे मीडिया में कहते रहे कि पैनिक होने की ज़रूरत नहीं है। हमारे यहां ऐसा कोई मामला नहीं हुआ है। उधर दुनिया भर में कोविड से निपटने के लिए वहां की सरकारें हर संभव प्रयास कर रही थीं। डर का माहौल सब ओर था लेकिन अपने ही नागरिकों को कोई दुश्मन की तरह नहीं ट्रीट कर रहा था, और भारत से फ्लाइट आने जाने में किसी भी देश को कोई परेशानी नहीं हो रही थी। तबलीगी जमात के मुख्यालय पर इस दौरान हजारों लोग थे। वहां आमतौर पर भी एकाध हजार लोग हमेशा रहते हैं। हर देश के नागरिक।


ख़ैर, 22 मार्च 2020  को प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू का एलान किया। इस दौरान लोग सड़क पे निकले, नाच गाना किया, तो सरकार ने दिल्ली में 144 लगा दिया। मरक़ज ने अपने नज़दीकी थाने तथा हल्के के एसडीएम को पत्र लिख कर कहा कि उनके यहां करीब 1500 लोग हैं। कृप्या उन सभी को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए हमने गाड़ियों का इंतज़ाम किया है, उन गाड़ियों का पास मुहैया करा दें ताकि वे अपने घरों को चले जाएं। यह पत्र 25 मार्च 2020 को लिखा जाता है। 22 को जनता कर्फ्यू लागू रहता है, जिस कारण से बहुत से लोग वहां से नहीं निकल पाते लेकिन 23 को करीब एक हजार लोग मरक़ज से निकल कर अपने घरों को चले जाते हैं। फिर 23 को ही प्रधानमंत्री ने आधी रात से ‘जो जहां है वहीं रहे’ कह कर पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया।



इन परिस्थितियों में मरकज़ निज़ामउद्दीन में करीब करीब 1500 लोग फंस गए, ग़ौर करें। दंगाई मीडिया इन लोगों को ‘छुपे’ होने को कह रही है। जबकि ये सबके सब लॉकडाउन की वजह से मरकज़ में फंस गए होते हैं। मरकज़ की तरफ से इसके बावजूद 25 मार्च को निज़ामउद्दीन थाने के एसएचओ से सात (7) चारपहिया गाड़ियों के लिए पास बनवाने हेतु निवेदन किया जाता है, जिसकी कॉपी एसडीएम को भी भेजी जाती है लेकिन परमीशन नहीं मिलती।

इसके बाद 29 मार्च को फिर से मरकज़ की तरफ से लेटर लिखा जाता है असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस,दिल्ली अतुल कुमार को। यह लेटर दिल्ली पुलिस के नोटिस लेटर संख्या 717/SO-ACP/Lajpat Nagar के जवाब में लिखा जाता है। नोटिस मिलने के बाद मरकज़ ने सारी परिस्थितियों से अवगत कराया एवं कहा कि जितने भी लोग मरकज़ में बचे हैं उनमें अधिकतर विदेशी नागरिक तथा दूर राज्यों के भारतीय हैं जिन्हें आईसोलेट किया जा चुका है। सारे ज़रूरी कदम एहतियातन उठाए जा चुके हैं।

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